Neeraj Agarwal

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लेखनी कहानी -12-Mar-2024

शीर्षक - स्वैच्छिक (हमारे ख्वाब )


स्वैच्छिक कहानी हमारे ख्वाब हम सभी के जीवन में ख्वाब होते हैं और हम सभी जीवन में ख्वाबों के साथ उम्मीद के साथ आशाओं के साथ जीवन जीते हैं। आज हम हमारे सभी के ख्वाब उम्मीद और आधुनिक सोच के साथ रहते हैं क्योंकि आज हम सभी आधुनिक युग में जीवन जीते हैं और आधुनिक युग के जीवन में हमारे सभी के अपने-अपने अलग-अलग ख्वाब होते हैं स्वैच्छिक कहानी के अंतर्गत हमारे ख्वाब कहानी लिख रही है। राजू रीना सुनीता रमन और न जाने कितने नाम के साथ आप और हम हम सभी के ख्वाब या हमारे ख्वाब शब्दों में नाम के साथ हम सभी किरदार निभाते हैं कभी नाम रीना कभी सुनीता कभी सीमा कभी राम कभी श्याम ऐसे ही नाम हमारे जीवन में एक-एक नाम के साथ हम किरदार निभाते हैं बस सबका उद्देश्य और रास्ता एक ही रहता है ख्वाब हमारे या हमारे ख्वाब बचपन से जवानी में हम कदम रखते हैं और जवानी से अधेड़ और बुढ़ापे की ओर कदम रखते हैं। सच तो जीवन में हमारे ख्वाब होते हैं। और हमारी ख्वाब उम्र के साथ-साथ चाहत मोहब्बत नौकरी इश्क और जीवन जीने की धन संपत्ति के लालच में या हमारे ख्वाब की चाहत में हम सभी जीवन की रेस में आगे निकलना चाहते हैं। हम अपनी उम्र में अपनों से बड़ी उम्र वालों का मजाक भी बनाते हैं क्योंकि हम और हमारे ख्वाब आज के होते है। परंतु जो उम्र के साथ जीवन जीते हैं और नौजवान युवा उन उम्रदराज लोगों की मजाक और मन ही मन उन्हें बेवकूफ समझते हैं परंतु समय का चक्र हम सभी को एक ही राह पर चलाता है। हम सभी जीवन के चक्र में हमारे ख्वाब ही हमारे जीवन की सोच होते है। और हम सभी संसार में इसी मोह माया और आकर्षण के साथ जीवन जीते हैं कि हम एक दूसरे से बेहतर है और हम और हमारे ख्वाब की रेस में हम दौड़ते हैं और बस नतीजा वही होता है कि हम सब भी एक उम्र के पड़ाव से दूसरे उम्र के पड़ाव पर पहुंच जाते हैं ऐसे ही हमारे ख्वाब एक मुट्ठी भर रेत की तरह समय हाथों से कब निकल जाता है बस हमारे ख्वाब हमारे साथ रह जाते है। हकीकत तो बस यही है हमारे ख्वाब केवल जीवन में एक दूसरे के साथ दिखावा और सोच के साथ जीवन जीते और बस हम सभी एक दिन अपने और हमारे ख्वाब के साथ जिंदगी के रंग मंच से कब विदा ले लेते हैं हम सभी को मालूम नहीं होता है और हमारे ख्वाब केवल एक दौड़ में एक दूसरे को जीतने के साथ चलते-चलते कब खत्म हो जाते हैं पता ही नहीं चलता है बस हम यही कह सकते हैं कि आज का जीवन और ख्वाब हमारे हैं रात बीत गई सुबह होती है पता नहीं हमारे ख्वाब हमारे लिए पूरे होते हैं या नहीं बस यही हमारा जीवन और यही हमारी जिंदगी और हमारे ख्वाब उम्मीद और आशाओं के साथ रेस लगाते रहते हैं और हम सभी जीवन के रंग मंच पर हमारे ख्वाब पूरे करने के लिए जिंदगी जीते रहते हैं।


नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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5 Comments

HARSHADA GOSAVI

13-Mar-2024 07:36 PM

Amazing

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Mohammed urooj khan

13-Mar-2024 04:47 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Abhinav ji

13-Mar-2024 09:23 AM

Nice👍

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